शिवलोक गमन के लिए संस्कृतविभूतिद्वय की प्रतिस्पर्धा
11-5-2022
संस्कृत जगत् के लिए आज का दिन अत्यन्त ही कष्टप्रद रहा है। शिक्षा और साहित्य में श्रेष्ठ उपलब्धि के लिए भारत सरकार द्वारा सम्मानित पद्मश्री सम्मान से विभूषित संस्कृत जगत् की दो महान् विभूतियों ने शिव सायुज्य को प्राप्त किया है।
'भाति मे भारतम्' इस अनुपम काव्य गीति से राष्ट्र चेतना को जन जन तक प्रसारित करने वाले पूज्य गुरुवर डॉ रमाकान्त शुक्ल जी और विश्व प्रसिद्ध वाग्योग कुण्डलिनी के आविष्कर्ता प्रातः स्मरणीय गुरुवर प्रो भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी 'वागीश शास्त्री' जी जो कि संस्कृत जगत् को अपनी सारस्वत साधना से सर्वथा गौरवान्वित और आनन्दित करते थे आज ये संस्कृतविभूतिद्वय अपने शिष्यसम्प्रदाय को शोकसागर में निमज्जित कर शिवाकाराकारित हो गये।
संस्कृतशास्त्रसंरक्षणपुरोधा, काव्यामृतप्रदाता ये विद्वत्तल्लजद्वय युवाओं द्वारा प्रचाल्यमान संस्था 'स्वस्तिवाचनम्' के आधारस्तम्भ रहे हैं। इन दोनों मनीषा मूर्धन्यों के मार्गनिर्देशन और आध्यक्ष्य में 'स्वस्तिवाचनम्' संस्था ने सदैव संस्कृतसपर्या के प्रति अपनी कटिबद्धता को प्रकट किया है।
संस्कृतजगत् आज इस अपूरणीय क्षति के लिए श्रद्धासुमन समर्पित करता है।